द फॉलोअप डेस्क
केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर के दो राज्यों—मणिपुर और नागालैंड—में सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (AFSPA) की अवधि छह महीने के लिए बढ़ा दी है। मौजूदा हालात को देखते हुए अरुणाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में भी यह कानून लागू रहेगा। गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, मणिपुर में कानून-व्यवस्था की समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया गया। गृह मंत्रालय के अनुसार, मणिपुर के 5 जिलों के 13 थाना क्षेत्रों को छोड़कर पूरे राज्य को "अशांत क्षेत्र" घोषित कर दिया गया है। यह नियम 1 अप्रैल 2025 से छह महीने तक प्रभावी रहेगा। जिन थाना क्षेत्रों में AFSPA लागू नहीं होगा, वे हैं—इंफाल, लांफेल, सिटी, सिंगजामेई, पाटसोई, वांगोई, पोरोम्पैट, हिंगांग, इरिलबुंग, थौबल, बिष्णुपुर, नामबोल और काकचिंग। इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों सहित तीन पुलिस थाना क्षेत्रों में भी AFSPA छह महीने के लिए बढ़ाया गया है।
AFSPA क्यों लागू किया गया था?
पूर्वोत्तर के कई राज्यों में उग्रवाद और अलगाववादी गतिविधियों के चलते AFSPA लागू किया गया था। नागालैंड और मणिपुर में यह कानून 1958 से लागू है, क्योंकि वहां उग्रवादी संगठनों की गतिविधियां भारत की संप्रभुता के लिए खतरा बनी हुई थीं। अरुणाचल प्रदेश में यह अधिनियम 1972 में लागू किया गया, जब चीन और म्यांमार से सटे इलाकों में चरमपंथी गतिविधियां बढ़ने लगीं।
क्या है AFSPA ?
AFSPA (सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम) एक विशेष कानून है, जो अशांत घोषित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार प्रदान करता है। यह अधिनियम 1958 में लागू किया गया था और मुख्य रूप से नागालैंड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, असम और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में लागू किया गया है। AFSPA के तहत सुरक्षा बलों को बिना वारंट गिरफ्तारी, तलाशी और आवश्यक स्थिति में गोली चलाने तक की शक्ति दी जाती है। यह कानून उग्रवाद और अलगाववादी गतिविधियों से निपटने के लिए लागू किया गया था, लेकिन इसे लेकर समय-समय पर मानवाधिकार हनन और इसके दुरुपयोग के आरोप भी लगते रहे हैं।